ग्रामीण क्षेत्रों एवं जंगल के सटे गांवों मे कच्ची दारू बनाने का धंधा बना कुटीर उद्योग

Update: 2022-03-04 16:47 GMT

होली से पहले शराब के अवैध कारोबार को चढ़ने लगा रंग आया त्योहार चल पड़ा मौत का कारोबार

बाजार शुक्ल अमेठी। जनपद के आखिरी छोर पर बसे ग्रामीण क्षेत्रों एवं जंगल के सटे गांवों मे कच्ची दारू बनाने का धंधा कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। पुलिस एवं आबकारी विभाग की मिली भगत से यह कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है। जानकारी के अनुसार आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते और अधिक नशेदार दारू बनाने के चक्कर मे कच्ची शराब के ग्रामीण निर्माताओं द्वारा नित्य नये-नये प्रयोग करके दारू निकालने के कच्चे माल लहन में मानव जीवन के लिये हानिकारक वस्तुओं एक्सपायरी डेट के इंजक्शनों, जहरीली दवाओं, खादों तक का इस्तेमाल किया जाने लगा है। जिनसे कच्ची शराब मे अनलिमिटेड नशा तो आता ही है बल्कि अक्सर दारू के शौकीन लोगों के सेहत के साथ भी खिलवाड़ कर उन्हे मौत के मुंह में ढ़केला जा रहा है। पहले तो यह कच्ची शराब के निर्माता किसी जंगल या गन्ने के खेतों के बीच में या नदियों के किनारे सुनसान स्थानों पर दारू बनाते थे। लेकिन अब गंवई इंजीनियरों द्वारा निरंतर प्रयोगों से प्राप्त तकनीक अपनाते हुये अपने छोटे से घर या झोपड़ी मे विशुद्ध पूर्ण स्वदेशी सर्व सुलभ कच्ची दारू निर्माण संयत्र लगा कर और दारू उत्पादन कर घर पर ही बिक्री करने का कुटीर कारोबार चरम सीमा पर है। सूत्रों के अनुसार खिड़की घाट पूरे परौती पूरे बोधी भगोले का पुरवा बादिल मऊ मठखनवा टडिया पूरे नजर अली गयासपुर पूरे नेवाजी पूरे शुक्लन पूरे गोड़ियन खेममऊ आदि अधिकांश गांवो मे थाना क्षेत्र उरेर मऊ जंगल के किनारे सटे गांवों में कच्ची का कारोबार तेजी से फैल रहा है। महिलाएं खाना बनाने के बाद चूल्हे पर मिनी दारू उत्पादक संयत्र लगा कर दो - तीन बोतल दारू जरा सी देर मे निकाल कर बिक्री कर स्वयं रोजगार प्राप्त कर रही है।

क्या बोले जिम्मेदार

पुलिस अधीक्षक ने कहा कच्ची शराब बनना और उसकी बिक्री बंद हो इसके लिए पुलिस कर्मियों को निर्देश दिया गया है। शीघ्र ही अभियान चला कर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभियान पूर्ण रूप से सफल हो इसके लिए आबकारी विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा।

व्यापारी ब्रजेश मिश्र, आदित्य मिश्र सड़क दुर्घटना के हुए शिकार ।

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