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आदित्यपुर में बिल्डिंग के छत से गिरकर 13 वर्ष के किशोर की हुई मौत *मामले को लेकर थाना का घेरा
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टीबी से निपटने में बाधक सदियों से चली आ रही असमानताएं और अन्याय :शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत – सीएनएस
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German parliament agrees to new support for film industry
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A major portion of Asia's largest freshwater lake, Wular Lake, has frozen
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Secretary Blinken’s Telephone Call with Republic of Korea FM Cho
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Prime Minister Narendra Modi meets Indian migrant workers at Gulf Spic Labour Camp in Kuwait
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Mild earthquake jolts Nepal, Damage assessment begins after Bajura earthquake
- National
अंबेडकर विश्वविद्यालय में चल रहा डबल रोल, फ़िल्मो जैसी कहानी सच साबित हो रही
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बाबसाहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय में अराजकता की स्थिति, गृहमंत्री का पुतला फूंक ब्राह्मण वाद को बताया आतंकवाद
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प्रो एन एम पी वर्मा की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया ऐतिहासिक निर्णय, मिनिस्ट्री को लगा झटका
Film Review - Page 2
फिल्म विश्लेषण भाग 3: फिल्मों में दिखाए गए संकेत को समझने के लिए उसके सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कॉन्टेक्स्ट को ध्यान में रखना चाहिए : प्रो गोविंद जी पाण्डेय
फिल्मों में दिखाए गए संकेत को समझने के लिए उसके सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कॉन्टेक्स्ट को ध्यान में रखना चाहिए। जिस तरह से हमने देखा की अ पोस्टमैन रिंग्स ट्वॉइस फिल्म में जिस समय मुख्य किरदार की एंट्री होती है और वह हीरोइन से मुलाकात करता है उस समय एक शॉट है जिसमें एक लिपस्टिक लुढ़कते हुए हीरो...
Managing Editor | 27 Oct 2022 4:28 PM ISTRead More
इतिहास से निकालकर : फ्रेंज ओस्टिन वो नाम है जिसके बिना भारतीय फिल्म इतिहास की कहानी अधूरी है : प्रो गोविंद जी पाण्डेय
फ्रेंज ओस्टिन वो नाम है जिसके बिना भारतीय फिल्म इतिहास की कहानी अधूरी है | जमर्नी के एक शहर म्युनिक , बवेरिया में २३ दिसम्बर १८७६ में जन्मे इस कलाकार ने भारत में फिल्म निर्देशक , कलाकार हिमांशु राय के साथ मिलकर फिल्म निर्माण में कई कीर्तिमान स्थापित किये है | जब १९२९ में उन्होंने ए थ्रो ऑफ़ डायस...
Managing Editor | 27 Oct 2022 1:40 PM ISTRead More
फिल्म विश्लेषण भाग 2- फिल्म को एक बार नहीं कई बार देखना चाहिए: प्रो गोविंद जी पाण्डेय
फिल्म को देखने का तरीका क्या हो इस पर काफी बहस हो चुकी है कई लोग कहते हैं कि फिल्म को ध्यान से देखना चाहिए तो कई लोग कहते हैं कि फिल्म को देखते समय नोटपैड लेकर देखना चाहिए जिससे जरूरी बातों को हम लिख सकें। पर वही कुछ लोगों का मत है कि अगर हम नोटपैड लेकर फिल्म देखते हैं और कुछ लिखते हैं तो हमारा...
Managing Editor | 27 Oct 2022 12:16 PM ISTRead More
Bachpan Express Film Analysis Exercise: Film: The Graduate (1967)
This shot from The Graduate is one of the most famously composed images in film history. What does it convey? Whyis it so effective?Try to answer the questions about your understanding of the shot and its relation to the narrative structure, semiotics, and mise-en-scene analysis.send your analysis...
Managing Editor | 26 Oct 2022 1:51 PM ISTRead More
Call for 5 Research Fellowships for Doctoral Students - FilmEU
Managing Editor | 5 Aug 2022 3:46 PM ISTRead More
सत्य' के साथ 'तथ्य' की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन दोनों के मिलने से ही 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्म का निर्माण होता है: विवेक अग्निहोत्री
*नई दिल्ली, 6 मई।* आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर *भारतीय जन संचार संस्थान* एवं *फिल्म समारोह निदेशालय, भारत सरकार* के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय *'आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022'* एवं *'राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता'* के अंतिम दिन *प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक तथा...
SUMMER FILM APPRECIATION COURSE 2022 Online (13th JUNE to 14th JULY 2022)
SUMMER FILM APPRECIATION COURSE 2022 (Online)(13th JUNE to 14th JULY 2022)(24 Days, Monday to Friday, Saturday & Sunday will be holiday)A four-week (24 days) full-time course in SUMMER FILM APPRECIATION COURSE 2022 will be held online from 13th JUNE to 14th JULY 2022 (excluding Saturdays &...
कहार शोध पत्रिका में सत्यजीत रे पर एक विशेष विचार विषय पर आधारित अंक के लिए लेख आमंत्रित है
विज्ञान संचार के क्षेत्र में पिछले आठ साल से लगातार प्रकाशित हो रही शोध पत्रिका कहांर का मार्च- जून अंक देश के महान फिल्मकार सत्यजीत रे के कार्यो को प्रमुखता से स्थान देगा | भारत में खासकर बांग्ला फिल्म इतिहास में कोई भी पन्ना बिना सत्यजीत रे की चर्चा के पूरा नही होता है | उनके द्वारा बनायीं गयी...
माजिद माजिदी की फ़िल्में मानव मन को टटोलती,अदम्य साहस और मानवता का पाठ पढ़ाती है
माजिद माजिदी की फ़िल्में अगर नवयथार्थ वाद का पिटारा कही जाएँ तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए | हालाकि कई बार हम अपने यहाँ सत्यजीत रे को ये भी कहते थे कि उन्होंने भारत की गरीबी को विश्व पटल पर सिनेमा के माध्यम से उठाया है, पर वही गरीबी को दिखाने के लिए कुछ लोग उनकी फिल्मों को नकारते भी देखे जा...