सरकारी गाड़ी को विश्वविद्यालय में खन के गाड़ दिया , अब दीवारों के अंदर किताबें चुनवा दी , पुरा मुग़लिया अंदाज है खान साहेब का
सरकारी सिस्टम के दुरपयोग की बातें हम सब ने सुनी है और देखी भी है इसलिए अगर इस पर कोई बोलता है तो ज्यादा आश्चर्य नहीं होता | पर जब एक विश्वविद्यालय जो शिक्षा के लिए बनाया गया हो उसकी बुनियाद से सरकारी गाड़ी निकले और उसकी दीवारे चोरी की कीमती किताबों से भरी पड़ी हो तो किस तरह कि शिक्षा उस विश्वविद्यालय में दी जाती होगी इसकी एक सभ्य आदमी कल्पना भी नहीं कर सकता |
कहा जाता है कि लोकतंत्र में उच्चपद पर बैठे लोग आशा की किरण होतें है क्योंकि गरीब जब सताया जाता है तो वो अपने शीर्ष नेतृत्व से इस बात की आशा करता है कि वो उसकी सुरक्षा करेगा पर यहां तो शीर्ष नेतृत्व ही जनता को सताने में लगा है | जौहर विश्वविद्यालय के अंदर से निकल रही हर तस्वीर मुग़ल काल की याद दिला रही है |
अगर सबूत मिटाना है जमीन में गाड़ दो , अगर सच्चाई छुपानी हो दीवारों में चिनवा दो | हो क्या रहा है ? हम लोक तंत्र में है या फिर वही मुग़ल शासन चल रहा है | अब किसको गलत कहें जब सत्ता में बैठे लोग समीकरण के हिसाब से सत्ता चलाते है तो देश और राष्ट्र उनकी सोच से निकल जाता है और व्यक्तिगत हित सबसे ऊपर होता है |
पर इस राष्ट्र ने लाखो सपूतों को खोया है और न मालूम कितनी संपत्ति का नुकसान हुआ है | तब जाके आज की पीढ़ी चैन की सांस ले पा रही है पर अभी आजादी के पिचहत्तर साल भी नहीं बीते की वही लोग , उसी मानसिकता के साथ वापस हमारे ऊपर जुल्म करने लोकतंत्र का चोला पहन कर आ गए | इन लोगों को पहचानने और उनकी असली शक्ल दिखाने के लिए योगी सरकार ने जो कार्य शुरू किया है वो अगर न होता तो इनकी असली शक्ल जनता के सामने कभी भी न आ पाती |