* राष्ट्रीय शिक्षा नीति: समतामूलक समावेशी स्वरूप*
Dr pravita tripathi
शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली एक सामाजिक प्रक्रिया है जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास एवम् व्यवहार परिष्कृत होता है।नई शिक्षा नीति के द्वारा ज्ञान एवम् कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाना,प्रगतिशील समृद्धि,सृजनशील,नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण एक नए समावेशी भारत की कल्पना को साकार करना है जो अपने गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने का स्वप्न दिखाती है।समावेशी शिक्षा जो प्रतिभाशाली,कमजोर औसत हर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए होगी।
34वर्षों से चली आ रही भारतीय शिक्षा नीति अंततःआमूल चूल परिवर्तन कर एक नई शिक्षा नीति हमारे सामने आयी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अंक परक की बजाय ज्ञान परक बनाने के सार्थक प्रयास किए गए है।हमारी नई शिक्षा नीति चार स्तंभों पर आधारित है-स्कूली शिक्षा,उच्च शिक्षा,प्रशासन या नियमन तथा शोध। इन सभी स्तंभों से जुड़े कई महत्व पूर्ण बिंदु भी है जो इस नई शिक्षा नीति को खास बनाते है,जिसके अन्तर्गत हर विद्यार्थी की विशिष्ट क्षमताओं की पहचान कर उसके विकास के लिए प्रयास,बुनियादी साक्षरता पर जोर,लचीलापन,बहुविषयक शिक्षा,तथा शोध पर विशेष ध्यान,रचनात्मकता को बढ़ावा, भाषा की शक्ति को प्रोत्साहन,नैतिकता तथा मानवीय मूल्यों पर ध्यान,जीवन कौशल,शिक्षकों की भर्ती और निरंतर विकास पर पूरा ध्यान,शैक्षिक प्रणाली में अखंडता ,पारदर्शिता और संसाधन कुशलता,उत्कृष्ट स्तर का शोध साथ ही भारतीय गौरव और जड़ों से बधे रहने की भावना नई शिक्षा नीति का मूल सिद्धांत है।
स्कूली शिक्षा में अब10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 के पाठयक्रम को शामिल किया गया जिसमें क्रमशः3-8,8-11,11-14और 14-18 वर्ष के बच्चो को शामिल किया गया है इस नई शिक्षा नीति में अब तक दूर रखे गए 3-6 वर्ष के बच्चों को भी स्कूली पाठयक्रम में लाने का प्रावधान किया गया है।शुरू के छह साल बच्चो के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते है इसी को ध्यान में रख कर भारतीय स्कूली शिक्षा का पूरा ढाचा तैयार किया गया है।इस नीति में पांचवीं क्लास मातृ भाषा ,क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई करने की बात की गई है साथ है यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा।
शिक्षा का उद्देश्य ही अच्छे नागरिक बनाना है। इस नीति में शिक्षकों की गरिमा का भी ध्यान रखा गया है,ताकि देश का टैलेंट यही रुककर अच्छी शिक्षा प्रदान कर सके। जिससे मनुष्य में मानवता ,जड़ों से जुड़ाव,और अतीत से आधुनिकता की तरफ ले जाकर भारतीय छात्रों को विश्व मानव बनाना भी इस नीति का उद्देश्य है। नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में जिस विंदु की ओर हमारा ध्यान बार बार आकृषित हुआ है वह है इसका समतामूलक समावेशी स्वरूप। नई शिक्षा नीति के पहले अध्याय में जहां वर्तमान की विद्यालयीय शिक्षा व्यवस्था में बड़े परिवर्तनों का उल्लेख है वहीं इसमें इस बात का भी विशेष ध्यान रखा गया है कि ग्रामीण,आदिवासी क्षेत्रों,इलाकों में भी परिवर्तन व नई व्यवस्था का समुचित प्रबंध हो, चाहे यह व्यवस्थाएं इसके नियमन से जुड़ी हो,या फंडिग से। नई शिक्षा नीति में महिला एवम् वाल विकास तथा जनजातीय मंत्रालयों की भी भूमिका को जोड़ा गया है इस नीति का विशेष ध्यान महिलाओ,अल्पसंख्यक,पिछड़े वर्ग के शिक्षार्थियों ,आदिवासी समुदायों तथा दिव्यांगो पर भी होगा।नई शिक्षा नीति इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई किभारत में आज समग्र रूप से समतामूलक और समावेशी शिक्षा की व्यवस्था करने की आवशयकता है।नई शिक्षा नीति में इस बात का साफ उल्लेख किया गया कि अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़े वर्ग के बच्चो,महिलाओ ,अल्पसंख्यकों तथा दिव्यंगो का प्रतिशत प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक पहुंचते ही कुछ सामाजिक ,आर्थिक कारणों के कारण बहुत कम हो जाता है, जिसको ध्यान में रखते हुए अब इस नई नीति में महिलाओं, दीव्यांगो,आदिवासी समुदाय के बच्चो,अल्पसंख्यक,पिछड़े समाज से आने वाले बच्चो के लिए कई प्रकार की सुविधाओं और छात्रवृत्तियों के प्रावधान का उल्लेख इस खंड में किया गया जो इस नीति को समावेशी बनाता है साथ ही जो विद्यार्थी स्कूल छोड़ चुके है उन्हें वापस लाने के मकसद से अवसंरचनात्मक सहयोग और नवाचार युक्त केंद्रों की व्यवस्था पर जोर देने की भी बात की गई है। यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्व पूर्ण है क्योंकि
महिलाओं की व्यक्तिगत,पारिवारिक, सामाजिक कारणों से पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है जिनकी संख्या काफी अधिक है इसे रोकने के लिएं बालिका छात्रावासो पर विशेष ध्यान दिए जाने की बात इस नीति में की गई है।
इस नीति में समुचित संसाधनों की उपलब्धता व उनके समान वितरण का भी कई जगह स्पष्ट उल्लेख किया गया है, गावों तथा शहरों में भारतीय भाषाओं में बाल साहित्य तथा अन्य पुस्तकों को उपलब्ध कराने की बात की गई साथ ही गावों में पुस्तकालय की स्थापना का प्रावधान भी उल्लिखित है जो उन महिलाओं,पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए सहायक सिद्ध होगी जो संसाधनों की कमी के कारण पढ़ नहीं पाते थे।साथ ही छात्राओं को ट्रांसजेंडर की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए जेंडर समावेशी निधि के गठन की भी बात की गई है इसकी मदद से छात्राओं और ट्रांसजेंडर के लिए मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों जैसे साईकिलों का वितरण,नगद हस्तांतरण,शौचालयों के निर्माण आदि जैसे कार्य किए जाएंगे।इस नीति में100/. युवा और वयस्क साक्षरता का लक्ष्य रखा गया है। देश के युवाओं की बड़ी तादाद के रचनात्मक उपयोग के लिए उच्च शिक्षा में2035 तक 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएगी ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के लिए उन्हें भटकना ना पड़े।इसके लिए 2030 तक लगभग हर जिले में कम से कम एक बहुविषयक वृहत उच्च शिक्षा संस्थान होगा,इसके अतिरिक्त एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स नामक एक डिजिटल क्रेडिट बैंक की स्थापना एक अहम बिंदु होगा जिसके द्वारा किसी एक प्रोग्राम या संस्थान में प्राप्त क्रेडिट अंक को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाएगा,किसी मजबूरी बस शहर,संस्थान बदलने वाले छात्रों के लिए यह बहुत उपयोगी होगा।
इस नीति ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन(NRF) स्वतंत्र रूप से सरकार,बोर्ड आफ गवर्नर द्वारा शासित होगा जिसके अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में बहुत ही बेहतरीन शोधकर्ता और नव प्रवर्तक शामिल होंने की बात की गई है और एन ई पी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जी डी पी का 6 फीसदी शिक्षा में लगाने का प्रावधान प्रमुख विंदुं है। साथ ही भाषा ,साहित्य,संगीत ,दर्शन,कला,नृत्य,रंगमंच,शिक्षा,गणित ,संखिकिय,शुद्ध और अनु प्रयुक्त विज्ञान ,समाजशास्त्र,अर्थशास्त्र, खेल ,अनुवाद और व्याख्या,आदि विभागों को सभी उच्च शैक्षिक संस्थानों में स्थापित और समर्ध करना ही इसका समावेशी विकास होगा। अर्थात् एक समय था जब हमारी शिक्षा एकांकी होती जा रही थी जब तक हमारे विद्यार्थियों को शारीरिक संरचना का ज्ञान नहीं होगा तब तक वे दाए बाए में फर्क नहीं समझे गे हमारी शब्दावली में विद्या और ज्ञान में शब्द आते है।मै यही कहना चाहूंगी कि इस नई शिक्षा नीति में हम सभी की बहुत सी संभावनाएं जुड़ी है हो सकता है जब हम इसका अध्ययन करे तो हमे कमिया भी नजर आए,सायद हमारी उम्मीदें पूरी ना हो फिर भी हमें विश्वास है कि इस देश के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा गया है जिसके द्वारा हमारे देश का समावेशी विकास संभव है, कम से कम यह नई शिक्षा नीति अाई तो सही हो सकता यह नई शिक्षा नीति हमारे देश की मिट्टी से जुड़ी हो,भाषाई अस्मिता से जुड़ी हो, जिससे हम सभी भारतीय होने का गर्व महसूस कर सकेगे इसके लिए हम सभी बधाई के पात्र भी होंगे अर्थात ऐसी शिक्षा नीति जो सबके लिए हो,और जो सबको समाहित कर ले।