गायन में स्वर एक होने से इंद्रधनुष की छटा बिखर जाती हैः डाॅ0 रचना श्रीवास्तव

Update: 2025-05-09 16:30 GMT



गायन भाव-भक्ति की अभिव्यक्ति हैः प्रो0 सुरेन्द्र

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संगीत एवं अभिनय कला विभाग में गायन एवं नृत्य कार्यशाला के पांचवे दिन छात्र-छात्राएं गायन के स्वरों से प्रशिक्षित हुुए। इसमें प्रतिभागियों ने बदरा बरसे रे....,बनारसी कजरी....गोरिया झूम झूम गावेली कजरिया ना, और अवधी कजरी अरे राम रिमझिम पड़त फुहार बदरिया छाई रे हारी..... के गायन के सुरों को सीखा। कार्यशाला की प्रशिक्षिका डॉ0 रचना श्रीवास्तव ने बताया कि गायन में स्वरों के अलग अलग राग होते है। यदि ये एक हो जाएं तो इंद्रधनुष की छटा बिखर जाती है और हृदय को आनंदमय एवं उत्साह से भर देती हैं।

उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि मौसम के अनुुरूप गायन मन मोह लेता है। वर्षा ऋतु के गीत शीतलता प्रदान करने के साथ चारों तरफ हरियाली की आभा मंडल का लौकिक सुख देते हैं। श्रृंगारिक भावों की मखमली हरियाली से मन मयूर को नाचने पर विवश कर देते हैं। इस कार्यशाला में संगीत एवं अभिनय कला के समन्वयक प्रो0 सुुरेन्द्र मिश्र ने बताया कि गायन में स्वर के सहयोग से संगीतमय ध्वनि उत्पन्न होती है जो भाव-भक्ति की अभिव्यक्ति है। सुुनने वाले को आनन्द मिलता है। इस अवसर पर प्रतिभागी मौजूद रहे।

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