लोक संस्कृति तथा जीवन मूल्यों के मनोवैज्ञानिक पक्ष को श्रेष्ठतम रूप में प्रस्तुत करता है मानसः प्रो. अनूप कुमार
अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर साहित्य गतिविधि समिति के तत्वावधान में अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में श्री रामचरितमानस पर व्यापक विमर्श प्रस्तुत किया गया। विद्यार्थी वक्ताओं ने पुस्तक चर्चा के दौरान श्री रामचरितमानस की प्रासंगिकता को पुनः सिद्ध करते हुए कहा कि मानस कल भी प्रासंगिक था, आज भी प्रासंगिक है और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेगा।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. अनूप कुमार ने कहा कि मानस लोक संस्कृति तथा जीवन मूल्यों का मनोवैज्ञानिक पक्ष अपने श्रेष्ठतम रूप में प्रस्तुत करता है। डॉ. नीलम सिंह ने मानस को नैतिकता और सदाचार का महाकाव्य बताया। अध्ययन केंद्र के सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ’सरल’ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मानस परिवार के प्रत्येक सदस्य के कर्तव्य का सांगोपांग वर्णन करने वाला ग्रंथ है। डॉ. अनुराग सोनी ने कहा कि मानस जीवन जीने की जबरदस्त अभिव्यक्ति है। इस अवसर पर प्रो. गंगाराम, प्रो. फर्रूख जमाल, डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी, डॉ. प्रतिभा, शिवांश कुमार, कपिल कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।