सरदार पटेल की राजनीतिक दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता और व्यावहारिकता आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है: डॉ. नलिनी मिश्रा
लखनऊ, 30 अक्तूबर 2025: ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी में कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा के मार्गदर्शन में एनएसएस की ओर से सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के अवसर पर “भारत के एकीकरण और राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान” विषय पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभिक शब्द डॉ. अभय कृष्ण ने प्रस्तुत किए। उन्होंने इस आयोजन के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति, नेतृत्व क्षमता और समाज के प्रति ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ाना है। साथ ही यह कार्यक्रम छात्रों को सरदार पटेल के बहुआयामी व्यक्तित्व और उनके योगदान से परिचित कराने का माध्यम है ताकि वे उस लौहपुरुष की सेवाओं को गहराई से समझ सकें जिन्होंने भारत के राजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक एकीकरण में निर्णायक भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एनएसएस कोऑर्डिनेटर डॉ. नलिनी मिश्रा ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सरदार पटेल केवल एक राजनेता नहीं थे बल्कि वे आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक थे। स्वतंत्रता के बाद देशी रियासतों के विलय में उन्होंने जो साहसिक और दूरदर्शी भूमिका निभाई, वह इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है और राष्ट्रीय एकता की अनुपम मिसाल भी। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की राजनीतिक दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता और व्यावहारिकता आज भी हमारे लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत है। डॉ. मिश्रा ने आगे कहा कि सरदार पटेल का जीवन हमें यह सिखाता है कि देश की प्रगति केवल नारों से नहीं, बल्कि अनुशासन, ईमानदारी और सामूहिक चेतना से संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि पटेल के साहस, दृढ़ निश्चय और व्यावहारिक नीति ने एक बिखरे हुए भारत को एक सूत्र में बांध दिया। उनकी सोच हमें यह संदेश देती है कि राष्ट्र निर्माण केवल राजनीतिक नारों या क्षणिक उत्साह से नहीं, बल्कि अनुशासन, निष्ठा और सामूहिक जिम्मेदारी से संभव होता है।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के नेतृत्व में भारत ने जिस एकता, राष्ट्रीय सद्भाव और संस्थागत स्थिरता की राह चुनी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक है। आज जब दुनिया नई चुनौतियों और आंतरिक मतभेदों से जूझ रही है, तब पटेल का एकता और राष्ट्रीय चेतना का सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है। छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. नलिनी मिश्रा ने कहा कि युवाओं को सरदार पटेल के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, उनके अनुशासन, त्याग और राष्ट्रसेवा की भावना को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की सच्ची प्रगति तभी संभव है जब युवा अपने अंदर देशभक्ति के साथ-साथ सामूहिक कल्याण की भावना भी विकसित करें। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि छात्रों को पटेल के आदर्शों को अपने जीवन में उतारना चाहिए और देश की एकता व अखंडता की रक्षा के लिए सदैव सजग और सक्रिय रहना चाहिए।
कार्यक्रम में सरदार पटेल के व्यक्तित्व पर पल्लवी, उम्मे हिलाल, मोहम्मद तारीफ, ज़ोया पठान, वैश्णवी, मोहम्मद राशिद, दरख़्खशां और एजाज़ ने भाषण प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज़फ़रुन नक़ी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्वेता अग्रवाल ने दिया। यह कार्यक्रम एनएसएस की इकाई एक, चार और पाँच की ओर से आयोजित किया गया था, जिसमें डॉ. इरफान, डॉ. एम. मूनव्वर हुसैन सहित अन्य शिक्षकगण और विद्यार्थी उपस्थित रहे।