सीएसजेएमयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में "राष्ट्रीय प्रेस दिवस" के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

Update: 2025-11-16 13:39 GMT

जल्दबाजी में लिखा गया इतिहास ही पत्रकारिता: प्रो.अरूण

-पत्रकारिता समाज का नियामक : प्रो. भगत

-पत्रकारिता से सत्य के संधान ही पत्रकारिता मूल मंत्र होना चाहिये: प्रो. भगत


कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचर विभाग में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार, प्राध्यापक, लेखक एवं बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण भगत थे। उन्होंनेे भारतीय प्रेस परिषद की उपयोगिता और वर्तमान में पत्रकारिता की चुनौतियों के बारे में छात्र छात्राओं को विस्तार से बताया।

पत्रकारिता विषय पर दर्जनों पुस्तकों को लिखने वाले प्रो.अरूण भगत ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जल्दबाजी में लिखा गया इतिहास ही पत्रकारिता है। यानी आज की पत्रकारिता अतीत का इतिहास हो जाता है। उन्होंने बताया कि 16 नवंबर सन 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना हुई थी। प्रेस परिषद यह सुनिश्चत करता है कि पत्रकार समाज में उच्च मानदंडो को बनाए रखे। पत्रकारिता समाज का नियामक है और अन्य नियामक संस्थानों को सावधान करती है, उनपर निगरानी रखने का कार्य करती है। पत्रकारिता जब समाज की बात आती है तो उसके हितों के लिए नियामक संस्थानों की सहयोगी की भूमिका भी निभाती है। पत्रकारिता सत्यम, शिवम, सुन्दरम की परिकल्पना को साकार कर रही है। यह सदैव लोकमंगल की भावना से की जाती है। पत्रकारिता पीड़ित, प्रताड़ितों की आवाज है। जब समाज की सभी उम्मीदें क्षीण हो जाती है तो ऐसे में आशा की किरण के रूप में पत्रकारिता ही नजर आती है। पत्रकारिता से सत्य का संधान हो, यह पत्रकारिता मूल मंत्र होना चाहिये। पत्रकारिता तथ्यों के माध्यम से सत्य तक पहंचने का माध्यम है। पत्रकारिता न कभी रूकी, न अटकी, न भटकी निरंतर अपने पथ पर अग्रसर है। इसलिए पत्रकारिता समाज का दर्पण है। उन्होंनें स्वतंत्रता के पहले के अखबारों पर प्रकाश डालते हुए उस समय की पत्रकारिता की चर्चा की। अंत में उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में विश्वसनीयता एक बढ़ी चुनौती हैं।

विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर अवस्थी ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि किसी समाज को जानने के लिए वहां की पत्रकारिता को जानना आवश्यक है। पत्रकारिता तथ्यों से सच तक पहुंचाने का काम भी करती हैं। साथ ही उन्होंने हिंदी अखबारों में अन्य भाषा के शब्दों के प्रयोग पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने, समाज को नई दिशा देने और विकास को गति देने में पत्रकारिता जगत का महत्वपूर्ण योगदान है।

वेबिनार संयोजक डॉ ओम शंकर गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस लोकतंत्र के एक स्तंभ के रूप में एक स्वतंत्र, ज़िम्मेदार और निष्पक्ष प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका का उत्सव है, यह हमें पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक जागरूकता में इसके योगदान पर पत्रकारिता के माध्यम से जोर देना सिखाती है। सह संयोजक डॉ. योगेन्द्र कुमार पाण्डेय ने कहाकि पत्रकारिता का मकसद केवल खबर देना नहीं, बल्कि समाज को आईना दिखाना है। वर्तमान में पत्रकारिता को समाज मे सच्चाई और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने की अलख जगाते रहने की आवश्यकता है। संकाय सदस्य सागर कनोजिया ने कहा कि हम सबकी दिशावाहक पत्रकारिता ही है, इसलिए आने वाले समय में भी इसे पारदर्शिता और सत्य को आगे बढ़ाना होगा।

वेबिनार का सफल संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ओमशंकर गप्ता ने किया। इस अवसर विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डा. जीतेन्द्र डबराल, डॉ. रश्मि गौतम, डॉ. हरिओम, श्री प्रेम किशोर शुक्ला समेत 100 से अधिक प्रतिभागियों ने वेबिनार में प्रतिभाग किया।

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