अंतर–दर्शन” समूह कला प्रदर्शनी- रचनात्मकता, संवेदना और आधुनिक दृष्टि का अद्भुत संगम

Update: 2025-11-17 12:41 GMT


छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के ललित कला संस्थान द्वारा दिनांक 17 नवम्बर को संस्थान स्थित कृतित्व कला दीर्घा में “अंतर–दर्शन” शीर्षक से एक भव्य समूह कला प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। यह प्रदर्शनी माननीय कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक जी की प्रेरणा तथा प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी जी के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित की गई। कला एवं सृजनशीलता को प्रोत्साहित करने की विश्वविद्यालय की निरंतर पहल इस प्रदर्शनी में प्रभावी रूप से दिखाई दी,

कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर 12:30 बजे विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री राकेश मिश्रा जी द्वारा किया गया। अपने उत्साहवर्धक वक्तव्य में श्री राकेश मिश्रा जी ने प्रदर्शनी में प्रदर्शित कृतियों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों ने अपनी कल्पनाशीलता, मनोभावों और आंतरिक दृष्टि को जिस संवेदनशीलता और प्रौढ़ कलाभिव्यक्ति के साथ प्रस्तुत किया है, वह उनके भीतर छिपे कलाकार के साथ-साथ एक मनोवैज्ञानिक दृष्टा के रूप में भी परिलक्षित होता है।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, पद्मश्री से सम्मानित सुप्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका डॉ. सुमित्रा गुहा जी ने विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि कला प्रत्येक मनुष्य के भीतर किसी न किसी रूप में विद्यमान रहती है, परंतु एक सच्चा कलाकार वह है जो निरंतर साधना, लगन और आत्मअनुशासन के साथ आगे बढ़ता रहता है। उन्होंने कहा कि इन विद्यार्थियों की कृतियाँ देखकर ज्ञात होता है कि वे न केवल कला के प्रति समर्पित हैं, बल्कि उनमें भविष्य के सशक्त कलाकार बनने की क्षमताएँ भी स्पष्ट दिखाई देती हैं

ललित कला संस्थान के निदेशक डॉ. मिठाई लाल जी ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का स्वागत करते हुए प्रदर्शनी में प्रतिभागी विद्यार्थियों की रचनात्मकता, रंग-संयोजन, स्वरूप-निर्माण तथा विषय-वस्तु प्रस्तुति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि “अंतर-दर्शन” प्रदर्शनी विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति का सशक्त उदाहरण है, जहाँ कक्षा की सीमाओं से बाहर निकलकर उन्होंने अपने विचारों और संवेदनाओं को अत्यंत परिपक्वता के साथ अभिव्यक्त किया है।

प्रदर्शनी के धन्यवाद-ज्ञापन में प्रो. शुभम शिवा जी ने सभी अतिथियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी ने न केवल संस्थान की कलात्मक परंपरा को सशक्त किया है, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, नवाचार और सौंदर्यबोध को भी गहराई प्रदान की है।

प्रदर्शनी के क्यूरेटर डॉ. मंतोष यादव, सहायक प्रोफेसर, ललित कला संस्थान, ने बताया कि इस प्रदर्शनी में बीएफए चतुर्थ वर्ष के पेंटिंग विभाग के लगभग 12 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनी में 30 से अधिक कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं, जिनमें चित्रों के साथ-साथ दो प्रभावशाली इंस्टॉलेशन कला कृतियाँ भी शामिल रहीं। ये इंस्टॉलेशन आधुनिक समाज की जटिलताओं, मीडिया की बदलती भूमिका, और सोशल मीडिया के मानव-मन पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाती हैं।

जिन विद्यार्थियों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं, उनमें प्रमुख नाम—तनिष्का मौर्य, रवि प्रताप, नेहा, खुशी, अर्पित, अमित, कोमल, यशी, आस्था, नव्या, गौरी और इशिका—शामिल हैं। इन सभी विद्यार्थियों ने रंग, आकृति, प्रकाश, बनावट और भावाभिव्यक्ति के विविध आयामों को अपनी कृतियों में कुशलतापूर्वक प्रस्तुत किया। दर्शकों तथा कला-प्रेमियों द्वारा इन्हें अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।

ललित कला विभाग के सहायक आचार्य — डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ. बप्पा माझी, तनीषा बंधावन, जीऊत बली यादव, विनय सिंह, प्रिया मिश्रा एवं प्रियांशी — ने पूरे सत्र के दौरान विद्यार्थियों को रचनात्मक निर्देशन, कलात्मक सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान किया। इन सभी शिक्षकों ने समय-समय पर विद्यार्थियों को आवश्यक सुधार बताते हुए उनकी कलाकृतियों को निखारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप यह प्रदर्शनी अत्यंत सफल और प्रभावशाली रूप में सम्पन्न हुई

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