लोकपाल (Ombudsman) नियुक्ति को लेकर यूजीसी के पत्र ने पैदा की भ्रम की स्थिति , कई विश्वविद्यालय को लोग समझने लगे डिफॉल्टर

Update: 2024-06-25 09:03 GMT

यूजीसी ने एक लेटर No  F. 1-13/2022 (CPP-II) (C.No.117672) dated, June 2024/ज्येष्ठ,१९४६ ने शिक्षा  जगत मे हंगामा खड़ा कर दिया है | हेडिंग मे डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची डाल देने के बाद लोग नीचे नहीं पढ़ रहे है की यूजीसी ने लोकपाल की  नियुक्ति न करने पर इन विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर लिस्ट मे डाला है न की किन्ही और कारण से | 

पर व्हाट्सएप ग्रुप से लेकर हर जगह ये खबर वायरल  हो रही है जबकि किसी ने भी पत्र को पूरा नहीं पढ़ा और कई स्टेट और प्राइवेट विश्वविद्यालयों को डिफ़ॉल्ट की सूची मे मान  लिया है | 

इस सूचना से कितना इन विश्वविद्यालयों का नुकसान हो सकता है इसके बारे मे न तो पत्र लिखने वाले ने ध्यान दिया न ही पत्र को पढ़ने वालों ने | अब पत्र की सत्यता के बारे मे भी चर्चा शुरु हो गयी है |

पत्रकारिता का वो दौर चल रहा है जहां पर हिन्दी और अंग्रेजी का ज्ञान कम है | न तो हिन्दी अच्छी है और न ही अंग्रेजी | यही हाल हमारी शिक्षा व्यवस्था का है| उसमें भी बड़े - बड़े संस्थानों  मे बैठे हुए लोग अपने लिखे और उसके प्रभाव के बारे मे ही जानते नहीं है |

जिस तेजी से ये व्हाट्सएप ग्रुप मे फॉरवर्ड हो रहा है उसमे आम आदमी इस खबर को किस तरह से पढ़ेगा और इन विश्वविद्यालयों के बारे मे क्या राय बनाएगा और इसका क्या प्रभाव होगा , ये बाते आगे चल एक बड़ा मुद्दा बन सकती है |

इस तरह की नासमझी उपभोक्ता के स्तर पर तो होती थी पर अब रचने वाले से फैलाने वाले सब एक ही व्यवस्था का हिस्सा बन चुके है | 

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