एक और मुश्लिम शासक अपनों के गद्दारी का शिकार हो गया और इतिहास फिर से दोहरा गया - जिस तरह से अफगान सेना ने हथियार डाल दिए वो बताता है की गद्दार अंदर थे लड़ाई बाहर से हो रही थी | नहीं तो तीन लाख की सेना साठ सत्तर हजार जंगली लड़ाको से हार जाए जिनके पास एयर फ़ोर्स का सपोर्ट न हो |
ये हार बाबर की जीत और इब्राहीम लोदी की हार की तरह है | ये हार सिर्फ अफगानिस्तान के अशरफ गनी की हार नही है ये हार उस अमन पसंद लोगो की हार है जिन्होंने एक एक कर अफगानिस्तान की बेटियों की अस्मत तालिबानी के द्वारा लुटते देखा है | इन कबाइली दरिंदो का पहला हुक्म क्या है - वही सदियों पुराना , अपनी औरत और बेटी को हमारे लड़ाको के हवाले कर दो | आज कही भी एक मुस्लिम हो या हिन्दू नेता आगे बढकर ऐसे बर्बर , जालिम मानसिकता के लोगो के खिलाफ वैश्विक जंग की बात नहीं कर रहा |
आज अफगानिस्तान की हर माँ -बेटी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन को कोस रही होगी कि जब साथ देना नही था तो सपने दिखाए क्यों | आज पकिस्तान के चेहरे पर कुटिल मुस्कान और गहरी हो गयी पर उसे अंदाजा नही है की अब तुम्हारा ही नम्बर है | जितना मुस्कुरा सकते हो मुस्कुरा लो पर जब ये कट्टर पंथी करांची में जींस पहने तुम्हारे बहन -बेटियों को उनके कपडे के कारण मौत के घाट उतरेंगे तो सदिया तुमको कोसती रहेंगी | आज का मंजर ये साबित करता है कि धर्म और ईमान कुछ नही होता सिर्फ दौलत है जो काम आती है और दुर्भाग्य ये दौलत अफगानिस्तान के माँ -बेटियों के पास नही की वो उस नरक से बाहर निकल सके |
और सिर्फ अफगानिस्तान क्यों हर वो मुल्क जहाँ पर इस तरह की सरकार है वहा महिलाओं का ये हाल है | उम्मीद करता हु की हमारा लिबरल गैंग आज आजादी -आजादी के नारे लगाते जहाज में बैठ कर अफगान महिलाओ के हक़ की लड़ाई लड़ने वहा जरुर जाएगा | और ईश्वर से यही प्रार्थना है की भारत को इतना शक्तिशाली बनाना है की ऐसे जंगली कौम इधर आने के बारे में सोचें भी न |