तालिबान एक ओर जहां अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुका है और लगातार अपनी छवि को विश्व के सामने सुधारने में लगा हुआ है। तो वहीं दूसरी तरफ उन लोगों पर शिकंजा भी कस रहा है, जिन्होंने कभी तालिबान का विरोध किया था।
जिसके बाद ही तालिबान ने सलीमा मजारी को गिरफ्तार कर लिया है। सलीमा अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर हैं. उन्होंने पिछले कुछ समय में तालिबान के खिलाफ कई बार बोला था और तालिबान का सामना करने के लिए हथियार उठाने की बात भी कही थी। हालांकि इससे पहले तालिबान ने महिलाओं को राजनीति में शामिल करने की बात कही थी।
गौरतलब है कि तालिबान के खिलाफ अंतिम वक्त तक सलीमा लड़ाई करती आयी है, अफगानिस्तान से जब अन्य बड़े नेता भाग रहे थे, तो उस दौरान भी सलीमा मजारी अफगानिस्तान में अपने समर्थकों के साथ तालिबान के खिलाफ लड़ने को तैयार थीं और मैदान में डटी हुई थीं
आपको बता दें कि जब अफगानिस्तान का बल्ख प्रांत तालिबान के कब्जे में आया, तब वहां के एक जिले चाहर में सलीमा मजारी को पकड़ लिया गया। सलीमा मजारी का जन्म तो ईरान में हुआ था, लेकिन सोवियत वॉर के वक्त वो अफगानिस्तान में आई थीं. उन्होंने तेहरान यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है, लेकिन बाद में अफगानिस्तान के लिए उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया और फिर तालिबान से लड़ने के लिए बंदूक भी उठाई।
हालांकि अफगानिस्तान में कुल तीन महिला गवर्नरों में से सलीमा पहली थीं। उनके इलाके चाहर में कुल 32 हजार से अधिक की आबादी है, उन्होंने अंतिम वक्त तक तालिबान को अपने इलाके पर कब्जा नहीं करने दिया। तालिबान को यहां का कब्जा करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी और नाकों चने चबाने पड़े।
गौरतलब है कि तालिबान ने ये ऐलान किया है कि उनके शासन काल में महिलाओं को आजादी मिलेगी, लेकिन ये शरिया कानून के तहत ही होगा। साथ ही इस बार तालिबान ने महिलाओं को सरकार में शामिल करने की बात भी कही है. लेकिन इसके विपरीत वहां सलीमा जफारी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
नेहा शाह