अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से भारत को चिंता,सीडीएस बिपिन रावत ने तीनों सेना प्रमुख को मंथन के लिए बुलाया
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से भारत की चिंता बढ़ गई है। तालिबान को जिस तरह से पाकिस्तान का समर्थन मिला है, वह भारत के लिए किसी बड़े खतरे के कम नहीं है। यही कारण है कि अफगानिस्तान की बदली परिस्थिति को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) के नेतृत्व में भारतीय सैन्य अधिकारियों की एक बैठक होने जा रही है।
आपको बता दें कि इस बैठक में तालिबान से भारत के खतरे को देखते हुए सुरक्षा उपायों पर मंथन किए जाने की उम्मीद है। वहीं दूसरी तरफ तहरीक-ए-तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद और हक्कानी नेटवर्क जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित वैश्विक आतंकवादी समूह तालिबान की बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए तीनों सेना के प्रमुख सीमा सुरक्षा को लेकर मंथन करेंगे।
गौरतलब है कि भारत के लिए अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होना इसलिए भी चिंताजनक साबित हो रहा है क्योंकि ऐसा पहली बार होगा जब अफगानिस्तान की जमीन पर एक भी अमेरिकी सैनिक मौजूद नहीं होंगे। भारत के लिए तालिबान इसलिए भी बड़ा संकट बनता जा रहा है, क्योंकि तालिबान ने सिर्फ अफगानिस्तान पर कब्जा ही नहीं किया है बल्कि अब बड़ी संख्या में अत्याधुनिक हथियार और हेलिकॉप्टर्स भी उसके पास हैं।
बता दें कि ऐसे में उम्मीद है कि ये अमेरिका निर्मित सैन्य हार्डवेयर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूह को और खतरनाक बना सकते हैं और आतंकी इनका इस्तेमाल कश्मीर में भारत को निशाना बनाने के लिए भी कर सकते हैं। सुरक्षा की स्थिति तब और विकट हो जाएगी जब तालिबान कैडर ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे
यही दूसरी चिंता का कारण ये है कि तालिबान और पाकिस्तान में स्थिति आतंकवादी इस्लामाबाद में बैठकर भारत में किसी भी अतांकवादी हमले को अंजाम दे सकते हैं। तालिबान 1.0 से तालिबान 2.0 और भी ज्यादा खतरानाक दिखाई पड़ता है। तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा दिलाने में पाकिस्तान की अहम भूमिका रही है।
नेहा शाह