श्रीलंका का आर्थिक संकट गहराता जा रहा है और उसके हर कदम पर भारत सरकार की नजर होगी | भारत इस समय ऐसे पड़ोसियों से घिरा है जो उसके ऊपर आश्रित होते हुए भी अपने आप को चीन और अमेरिका के करीब ला कर अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहते है | पर भारत जिस तरह मदद करता है ये देश उसको उस प्रकार से कभी भी मदद नहीं करंगे |
इस समय श्रीलंका की मुद्रा का बुरा हाल है | दैनिक उपभोग की वस्तु या तो नहीं है और अगर वो मिल भी रही है तो उसकी कीमत आम लोगो की पहुंच से बहुत ज्यादा है | श्रीलंका में बिजली संकट गहरा जाने के कारण देश में सबसे ज्यादा मुद्रा अर्जित करने वाला टूरिस्म सेक्टर भी ठप हो गया है | जितना निर्यात है उससे ज्यादा आयत है और पास में विदेशी मुद्रा नहीं है की वो जरुरी वस्तुओ का आयत कर पाए |
भारत ने सहायत के तौर पर एक बिलियन से ज्यादा क्रेडिट लाइन दिया है की वो खरीदारी कर पेमेंट बाद में करे इसके अलावा काफी मात्रा में डीजल भी श्रीलंका भेजा है | पर उन कारणों को जानने की जरुरत है जिसने श्रीलंका को इस स्थिति में ला कर खड़ा कर दिया है |
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दल से कहा है की वो एक साथ आएं और संसद में मिलकर सरकार चलाएं | पर जिस जगह वो आकर खड़ा हो गया है वहां से भारत के लिए भी खतरे की घंटी बज रही है | श्रीलंका में अस्थिरता और पाकिस्तान में संसद पर विपक्षी दलों का कब्ज़ा ,ये घटनाएं किसी भी तरह का रूप ले सकती है |
दोनों ही देशो में अगर जनता सड़को पर आयी तो उनको संभालना मुश्किल होगा | इस समय भारत के लिए श्रीलंका की सहायता और पकिस्तान के घटनाक्रम पर नजर लगाए रहने की जरुरत है |