विदेश नीति में फेल सरकार : ओली ने खाई कसम, 'सत्ता में वापसी पर भारत से लेंगे जमीन'

विदेश नीति में फेल सरकार : ओली ने खाई कसम, ‘सत्ता में वापसी पर भारत से लेंगे जमीन’;

Update: 2021-11-27 16:51 GMT

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और राम को 'नेपाली' बताने वाले केपी शर्मा ओली ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है और कहा है कि, अगर उनकी पार्टी नेपाल में सत्ता में लौटती है और वो फिर से प्रधानमंत्री बनते हैं, तो वो कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख भारत से वापस ले लेंगे।

केपी शर्मा ओली ने भारतीय जमीन वापस लेने की कसम खाई है।

जमीन वापस लेने की कसम नेपाल के पूर्व प्रधान मंत्री और विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष, केपी शर्मा ओली ने सत्ता में लौटने पर कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के भारतीय क्षेत्रों को "वापस लेने" की कसम खाई है।

यह बयान चितवन में नेपाल-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के आम सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उन्होंने दिया है। ओली ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि, "हमने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल में शामिल करते हुए एक नया नक्शा प्रकाशित किया है, जो राष्ट्र के संविधान में भी प्रकाशित है, लेकिन हमें उन जमीनों को वापस लेने की जरूरत है। हम बातचीत के जरिए जमीन वापस लेंगे।"

ओली बोते रहते हैं जहर नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी का 10 वां आम सम्मेलन मध्य नेपाल के चितवन में आयोजित किया जा रहा है जो राजधानी काठमांडू से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

नेपाल द्वारा संशोधित राजनीतिक मानचित्र जारी करने के बाद पिछले साल नई दिल्ली और काठमांडू के बीच तनाव पैदा हो गया था, क्योंकि भारत ने नवंबर 2019 में जारी अपने नक्शे में ट्राई-जंक्शन को शामिल किया था।

8 मई 2020 को कैलाश मानसरोवर को लिपुलेख के माध्यम से जोड़ने वाली सड़क के उद्घाटन के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध खराब हो गए थे, जिसके बाद नेपाल ने इस कदम पर आपत्ति जताते हुए एक राजनयिक नोट भारत को सौंपा था। वहीं, नई दिल्ली ने नेपाल के कदम को "एकतरफा कार्रवाई" कहा था और काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा "कृत्रिम विस्तार" उसे स्वीकार्य नहीं होगा।

तीन इलाकों पर नेपाल का 'विवाद' उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के तीनों इलाके पिछली बार तब पहली बार सुर्खियों में आए थे, जब भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों की सुविधा के मद्देनजर पिछले साल 8 मई को लिपुलेख से धारचुला को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था।

केपी शर्मा ओली ने इसी साल जनवरी में बतौर प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया है, उसके बाद नेपाल के सीमावर्ती जिले धारचुला में भी सरगर्मी बढ़ गई है, जो पिथौरागढ़ जिले से सटा हुआ इलाका है।

लिपुलेख, लुइंपियाधुरा और कालापानी यह तीनों जगह, जिसे नेपाल विवादित क्षेत्र बता रहा है, यह भी वहीं पर हैं। जब भारत ने वहां पर सड़क बना दिया तो नेपाल ने भी अपनी ओर धारचुला से टिंकर के बीच 87 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण शुरू कर रखा है।

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