हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर ने पुनः मुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया है | उनके साथ जयंत चौटाला ने भी उप मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण कर लिया है | हालाकि ये अवसर पर छक्का मारने जैसा था |
भाजपा के लिए हरियाणा में एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई है | जहाँ एक ओर निर्दलियो को लेकर ही सरकार बनाने की कवायद में जनमत को गोपाल कांडा की फांस लग गयी तो वही दूसरी ओर जयंत के पिताजी अजय चौटाला का फरलो पर बाहर आना भी एक मुद्दा बनता चला जा रहा है |
वैसे तो अन्य पार्टिया भी मौका मिलने पर छोडती नहीं पर क्या करे ये राजनीति है इसमें जिसकी सरकार बनती है चर्चा उसी की होती है | भाजपा को जहा एक ओर निर्दलियो के साथ कम मंत्रालय शेयर करना पड़ता वही उसे जयंत को पूरा समर्थन देना होगा |
जयंत का मजबूत होना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी है| जयंत जैसे -जैसे मजबूत होंगे वो हरियाणा के आम लोगो की पहली पसंद बनते जायेंगे | अगर उन्होंने अपनी पार्टी का संगठन और मजबूत कर लिया तो वो चौधरी देवीलाल के बाद हरियाणा के एक कद्दावर नेता का स्तर हासिल कर सकते है |
अभी जयंत की पार्टी सत्ता में आयी है और जैसा की सभी जानते है सत्ता में आते ही उन्हें न सिर्फ समाज के एक वर्ग के लोगो का साथ मिल जाएगा बल्कि वो पैसे से भी मजबूत हो जायेंगे जो की आज की राजनीति का अहम् हिस्सा बन गया है |
भारतीय जनता पार्टी ने तो खट्टर के दम पर सरकार बना ली है और अगर उनके नेताओ ने अपने क्षेत्र के लोगो का ध्यान नहीं रखा तो वो दिन दूर नहीं जब खट्टर को उप मुख्यमंत्री और जयंत मुख्यमंत्री हो जायेंगे |