इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के 421 प्रोजेक्ट्स की लागत 4.40 लाख करोड़ रुपये बढ़ी: एमओएसपीआई
नवंबर में 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली 421 इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर प्रोजेक्ट्स की लागत 4.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ गई। एक आधिकारिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक, उसकी निगरानी में शामिल 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक निवेश की 1,831 इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर प्रोजेक्ट्स में से 421 प्रजोक्ट्स की लागत बढ़ गई है जबकि 845 प्रजोक्ट्स विलंब से चल रही है।
मंत्रालय की नवीनतम मासिक रिपोर्ट के मुताबिक, निगरानी में रखी गई 1,831 प्रजोक्ट्स की कुल मूल लागत 25,10,577.59 करोड़ रुपये थी लेकिन उनके पूरा होने की अनुमानित लागत 29,50,997.33 करोड़ रुपये हो गई। इस तरह कुल लागत में 4,40,419.74 करोड़ रुपये यानी 17.54 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
रिपोर्ट कहती है कि नवंबर, 2023 तक इन प्रजोक्ट्स पर 15,58,038.07 करोड़ रुपये का खर्च आया, जो प्रजोक्ट्स की अनुमानित लागत का 52.80 प्रतिशत है। हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि देरी की गणना समापन की नवीनतम अनुसूची के आधार पर की जाती है तो विलंबित परियोजनाओं की संख्या घटकर 629 हो जाती है।
इसमें कहा गया है कि 308 परियोजनाओं के लिए न तो उसकी मंजूरी का वर्ष और न ही संभावित निर्माण अवधि की सूचना दी गई है। देरी से चल रही 845 परियोजनाओं में से 204 में एक से 12 महीने की देरी है जबकि 198 परियोजनाएं 13-24 महीने की देरी से चल रही हैं। वहीं 322 परियोजनाओं में 25-60 महीने की देरी है और 121 परियोजनाएं पांच साल से अधिक विलंब से चल रही हैं। देरी से चल रही 845 परियोजनाओं का समय औसतन 36.64 महीने बढ़ गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों ने इस देरी के लिए भूमि अधिग्रहण में देरी, वन और पर्यावरण मंजूरी हासिल करने में विलंब और बुनियादी ढांचे के समर्थन की कमी को जिम्मेदार बताया है।