विवादों से छूटा नाता, रिटायर हुए प्रो एन एम पी वर्मा , शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने दी भव्य विदाई
अपने शानदार करियर के अंतिम पड़ाव पर विवादों में आ गये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नीलमणि प्रसाद वर्मा को आज शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने भव्य विदाई दी। कार्यकारी कुलपति प्रोफ़ेसर शिव कुमार द्विवेदी की अध्यक्षता में हुए समारोह में उपस्थित शिक्षकों ने प्रो वर्मा के साथ बिताये हुए पल लोगों के साथ साझा किया।
प्रो वर्मा का अंतिम कार्यकाल कुछ हाहाकारी हो गया जब उन्होंने कुलसचिव अश्विनी सिंह को सस्पेंड कर दिया, कोर्ट से वापस आने पर उनको बहाल तो किया पर वो पुनः नये वीसी द्वारा सस्पेंड कर दिए गए । इन सब के बीच मंत्रालय और प्रो वर्मा के संबंध भी प्रभावित हुए और उनको कार्यकारी कुलपति के पद से हटाया गया।
हार न मानने की प्रवित्ति वाले प्रो वर्मा ने कोर्ट की शरण ली और अपने हटाये जाने को चैलेंज किया और कोर्ट के आदेश से उनको पुनः कुलपति के रूप में जॉइन कराने का आदेश हुआ । हालाकि शिक्षा मंत्रालय से इस बार पहले की तरह जल्दी से आदेश नहीं आने से अब वो रिटायर हो गए, सूत्रों की माने तो अभी तक उनको जॉइन करने का लेटर मंत्रालय ने नहीं भेजा है। अगर ये सही है तो प्रो वर्मा कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के लिए पुनः एक बार न्यायालय की शरण ले सकते है , पर क्या वो रिटायर होने के बाद इस पर विचार करेंगे ये प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं।
एक अर्थशास्त्री और विश्वविद्यालय के नींव के पेड़ रहे वर्मा जी को याद करते हुए उनके समय के कर्मचारियों ने बताया कि किस तरह वो इस विश्वविद्यालय को तेरह शिक्षक से शुरू कर आज तीन सौ के क़रीब शिक्षक और कर्मचारी तक पहुँचा चुके है।
अपने क्षेत्र के जाने माने नाम है प्रो वर्मा और अर्थशास्त्र के कई गूढ़ विषयों के अतिरिक्त उन्होंने अभी रिसर्च मेथोडोलॉजी पर भी किताब लिखने का काम किया है। उनके शोध ग्रन्ध देश -विदेश के विभिन्न जर्नल में छपते रहें है। विश्वविद्यालय में भी अर्थशास्त्र विभाग में इकलौत शिक्षक और कार्यक्रम से शुरू कर आज कई शिक्षकों और कोर्स का संचालन शुरू किया है। विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों, प्रॉक्टर, डीन, हेड पर वो कई बार रहा चुके है।
प्रो वर्मा ने अपने शैक्षिक जीवन में वो सब कुछ हासिल किया है जो हर शिक्षक की चाहत होती है।