भारत, अमेरिका, इजराइल, और सऊदी अरेबिया कभी किसी ने नहीं सोचा होगा कि इतने विपरीत विचारों के देश एक साथ मिल जाएंगे और सुरक्षा - व्यापार में सहयोग का एक नया दौर चल पड़ेगा |
कहा जा रहा है कि सऊदी अरब के नजदीक इजराइल को लाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक समझ है जिसके चलते अरब का धुर विरोधी इजराइल आज अरब में पैर पसार रहा है।
इस संगठन के अस्तित्व में आते ही चीन का विस्तारवाद और खाड़ी के देशो में चल रही उथल पुथल ,जो सबसे बड़ी चिंता थी उसको तात्कालिक रूप से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
पूरी दुनिया इस समय चीन के विस्तार वादी रूप से परेशान है और गल्फ कंट्रीज भी कहीं ना कहीं चीन के विस्तार बाद का निशाना बनती रहती है |
अब अगर आप भारत में हो रहे घटनाक्रम को देखें तो आपको लगेगा कि जुम्मे के बाद चलने वाले पत्थर हो या भारत में विभिन्न समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने का जो काम चल रहा है उसके पीछे सिर्फ देश ही नहीं विदेशी ताकतें भी हैं |
चीन की देखते-देखते भारत दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है और आने वाले समय में विश्व गुरु बनने की पूरी संभावनाएं हैं |
राजनीतिक अवसरों के साथ आर्थिक क्षेत्र में जिस तरह से तरक्की कर रहा है वह काबिले तारीफ है |
कहां जा रहा है कि जब पूरा विश्व अर्थव्यवस्था 20 फ़ीसदी बनेगी वहीं भारत की अर्थव्यवस्था व्यवस्था 80 फ़ीसदी बढ़ जाएगी अगर ऐसा हो जाता है तो 2026 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगा |
सऊदी अरब के संगठन में मिल जाने से जहां एक ओर इजरायल को अरब के महत्वपूर्ण देश से मान्यता मिल गई भारत को पेट्रोलियम सिक्योरिटी मिलेगा और साथ ही साथ इजराइल से आतंकवाद से लड़ने के लिए आधुनिक हथियार और तकनीकी मिलेगी साथ ही यह चारों देश मिलकर विश्व की किसी भी ताकत को पीछे धकेलने का साहस रखते हैं और शक्ति भी इनके पास है |