बिडेन का पीछे से आना और हाथ से मोदी के कंधे को थपथपाना , अमेरिका को भारत से हो गया है प्यार अब पाकिस्तान क्या करे
कहा जाता है कि अंतराष्ट्रीय सम्बन्धो में वयक्तिगत हित नहीं होते सिर्फ राष्ट्र होता है और राष्ट्र के लिए अगर किसी दुश्मन को भी दोस्त बनाना पड़े तो उससे पीछे नहीं हटना चाहिए | पर कहा जाता है वक्त बदलता है और वक्त के साथ कुछ सिद्धांत भी बदल जाते है | नरेंद्र मोदी के जर्मनी में जी ट्वेंटी के दौरे के समय जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बन गे है वो उनका विश्व के नेताओ से व्यक्तिगत सम्बन्ध |
अमेरिका विश्व का इकलौता सुपर पावर है और लोग उसके नेता से मिलने के लिए बेकरार रहते है | विश्व के बड़े - बड़े नेताओं को उनके फोन काल का इन्तजार होता है | और क्या कहें अपने पडोसी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री यही कहते कहते कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने उनको फ़ोन नहीं किया न उनका फोन उठाया , न उनको बुलाया , अपनी सत्ता गवां बैठे | अभी भी जो प्रधानमंत्री है वो कटोरा ले कर पुरे विश्व से भीख मांग रहे है और उनको मिलती दिखाई नहीं दे रहे है |
पर भारत के प्रधानमंत्री को खुद चलकर विश्व का सबसे बड़ा नेता गर्मजोशी से हाँथ मिलाता है और मुस्करा कर बातें करता है ये पाकिस्तान में चर्चा का विषय है |
आज मोदी विश्व के बड़े नेता है और ये साबित हो गया उनके यूएइ के दौरे से जहाँ राष्ट्रपति ही उनकी आगवानी करने पहुंच गए
रूस से तेल : ये मोदी ही कर सकते थे की रूस -यूक्रेन युद्ध के बीच वो सारी दुनिया को एक तरफ कर के वहां से तेल ले रहा है | मोदी को दुनिया की परवाह नहीं है उनका धर्म राष्ट्र धर्म है जिसको वो निभा रहे है | ऐसा नेता सदी में एक ही पैदा होता है \ भारतीय जनमानस को उनकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे भारत फिर से विश्व व्यापार हो या शिक्षा दोनों में अग्रणी हो सके |
यूरोप हो या एशिया आज नरेंद्र मोदी की छवि उनको बड़ा नेता बना रही है जिनसे विश्व के नेता भी मिलना चाहते है |