पीएम मोदी, राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति ने ईस्टर पर दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को ईस्टर के शुभ अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस पर्व को आशा, नवीनीकरण और करुणा का प्रतीक बताते हुए सभी के लिए शांति और समृद्धि की कामना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स
पर ईस्टर की बधाई देते हुए लिखा, "सभी को ईस्टर की हार्दिक शुभकामनाएं। यह ईस्टर इसलिए खास है क्योंकि दुनिया भर में जयंती वर्ष को बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह पवित्र अवसर हर व्यक्ति में आशा, नवीनीकरण और करुणा की भावना जगाए। चारों ओर खुशियाँ और सद्भावना हो।"
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ईस्टर के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
एक्स पोस्ट में उन्होंने लिखा, "सभी को ईस्टर की बधाई! इस अवसर पर हम ईसा मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मनाते हैं। यह त्योहार नई उम्मीद और नई शुरुआत की भावना को प्रेरित करता है। ईसा मसीह की शिक्षाएं मानवता को प्रेम और त्याग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। आशा और आनंद का यह त्योहार सभी के लिए शांति और समृद्धि लाए।"
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सोशल मीडिया एक्स
पर पोस्ट कर लिखा, "इस ईस्टर रविवार पर, मैं भारत भर के सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। साथ ही, इस पवित्र अवसर को मनाने वाले हमारे ईसाई समुदायों को विशेष धन्यवाद देता हूं।"
उन्होंने आगे लिखा, "ईस्टर, ईसा मसीह के पुनरुत्थान के माध्यम से आशा और नवीनीकरण का प्रतीक है। करुणा, क्षमा और सेवा की उनकी शाश्वत शिक्षाएं हमें एक सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। यह पवित्र दिन हम सभी को कमजोर लोगों के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने और बिना शर्त प्रेम के मसीह के संदेश को अपनाने के लिए प्रेरित करे। शांति और नवीनीकरण हमारे देश के घरों और समुदायों को भर दें।"
रविवार को ईस्टर का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। माना जाता है कि इस दिन प्रभु यीशु का पुनर्जन्म हुआ था। यह त्योहार ईसाई धर्म के सबसे प्राचीन और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है, इसलिए इसे ईस्टर संडे भी कहा जाता है। इस खास अवसर पर चर्चों में विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है। साथ ही लोग प्रभु यीशु के उपदेशों को याद करते हैं। यह दिन प्रेम, बलिदान और पुनः जीवन का प्रतीक है, जो हमें आशा और विश्वास सिखाता है।