सपा से कैसे भाजपा ने छीना रामपुर और आजमगढ़

Update: 2022-06-27 16:45 GMT


उत्तरप्रदेश :-  उत्तरप्रदेश में 2 सींटो पर हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत हासिल हुई और सपा की मजबूत सींट मानी जाने वाली रामपुर और आजमगढ़ उसके हाँथ से निकल गई। सपा को मिली हार के बाद लोग सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव को कोसने लगे। लोगो ने कहा कि सपा की हार का कारण समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव है उन्होंने जनता को सपा से बांध कर रखने की रणनीति नहीं बना पाई और आज सपा का वोट भाजपा के समर्थन में है।

वही भाजपा की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया। उन्होंने कहा योगी आदित्यनाथ ने जनता को बांधने के लिए खुद आजमगढ़ और रामपुर में प्रचार प्रसार किया। रामपुर में भाजपा की जीत यह संदेश दे रही है कि जनता ने विकास को स्वीकार कर लिया है और जनता अब केंद्र और यूपी में डबल इंजन सरकार के लिए व्यापक पैमाने पर स्वीकृति और समर्थन कर रही है।

अंजाम गढ़ सींट से दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा उम्मीदवार और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को 8,679 वोटों से मात दी और रामपुर में बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने सपा के आसिम राजा को 42,192 वोटों से धूल चटाई। इस जीत के बाद एक सवाल सबके मन मे उठ रहा है कि आखिर भाजपा ने ऐसा कौन सा दाव चला की सपा के हाँथ से उसकी सबसे मजबूत सींट निकल गई और आजम खान का बल भी सपा को इस सियासी रण ने जीत नहीं दिला सका | 

जाने कैसे सपा पर भारी पड़ी भाजपा:-

आजमगढ़ और रामपुर वैसे तो सपा का गढ़ कहे जाते हैं यहाँ मुस्लिम वोट अधिक है। वही मुलायम, आजम और शिवपाल के समय मे यहाँ सिर्फ सपा का जलवा था और यहाँ की जनता किसी ओर को अपने विकल्प के तौर पर नहीं देख सकती है। साल 2014 में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह और 2019 में अखिलेश यादव यहाँ से चुनाव जीते थे। यह एक ऐसी विधानसभा है जहां मुस्लिम, दलित, यादव, की सबसे ज्यादा आबादी है।

यहाँ का मुसलमान वैसे तो सपा के समर्थन में था लेकिन इस बार कही न कही मुस्लिम ने भाजपा को समर्थन दिया। वही राजनीतिक विशेषज्ञयों का कहना है कि सपा की हार के पीछे बहुजन समाज पार्टी का हाँथ है। बसपा के उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवारों के लिए फायदा और सपा के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। बीजेपी और सपा उम्मीदवार के बीच जीत का अंतर 8679 था. सपा समर्थक गुड्डू जमाली पर वोट काटने का आरोप लगा रहे हैं क्योंकि इससे मुस्लिम यादव समीकरण प्रभावित हुआ है और उसने भाजपा को अपना समर्थन दिया। बसपा और सपा के बीच मची उथल पुथल के बीच भाजपा ने जीत हासिल की और सपा के हाँथो से उसके गढ़ क्षेत्र को छीन लिया।

प्रियांशी सिंह 

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