एक तरफ दलित वोटबैंक को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है तो दूसरी तरफ ब्राह्मणों को भी साधा जा रहा है। मायावती की इस रणनीति में अब शहरी महिलाओं को भी जोड़े जाने का प्लान है। बसपा ने अपनी रणनीति के तहत शहरी महिलाओं से संवाद करने की योजना बनाई है, इसके लिए वह कई जिलों में महिला सम्मेलन करेंगी। बीएसपी के इस महिला सम्मेलन में शहरी महिलाओं पर ज्यादा जोर दिया जाएगा खासकर वह जो नौकरीपेशा हैं। काम के सिलसिले में जिन्हें देर रात बाहर रहना पड़ता है।
बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण प्रबुद्ध सम्मेलन करके साफ कर दिया कि इस बार वह कोई नया सियासी प्रयोग करने के बजाय अपनी पुरानी सोशल इंजीनियरिंग की राह पर चलेंगी, जिसने 2007 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। बीएसपी के इस प्लान की जिम्मेदारी, सतीश मिश्रा की पत्नी कल्पना मिश्रा को दी गई है। कल्पना मिश्रा, उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों में महिला सम्मेलन करेंगी। लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज और वृंदावन जैसे जिलों के अलावा गाजियाबाद में इसके आयोजन की तैयारी है। पार्टी प्रवक्ता एम एच खान के अनुसार बहुजन समाज पार्टी, शहरी महिलाओं के दर्द को समझती है, महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए उनसे संवाद किया जाना जरूरी है। मायावती जी
ऐसे में चुनाव से पहले मायावती यह संदेश देना चाहती हैं कि वह महिलाओं को आगे लाने की पक्षधर हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही पार्टी के अहम पदों पर महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी। मायावती खुद पार्टी की अगुवाई करती हैं। बताते चलें कि पार्टी, ब्राह्मण सम्मेलन को लेकर मिल रही प्रतिक्रिया से खुश है, लिहाजा इसी को आगे बढ़ाते हुए वह अलग अलग मोर्चों पर अपने सिपहसलारों को जिम्मेदारी सौंप रही हैं। बताते चलें कि मायावती ने साल 2007 में भी इस तरह की सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया था। तब बसपा ने उम्मीदवारों की घोषणा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही कर दी थी। पार्टी ने करीब 86 ब्राह्मणों को टिकट दिया था। जिसका फायदा मायावती को मिला और बसपा ने 2007 के विधानसभा चुनावों में 30 फीसदी वोट पाकर 206 सीटें जीती थीं। इसमें 41 ब्राह्मण उम्मीदवार भी शामिल थे। मायावती जी 2021 में वही रास्ता अपनाना चाहती हैं।