शिक्षा ज्ञान, संस्कार व मूल्य आधारित होः कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल

Update: 2024-09-20 12:03 GMT

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का 29 वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने समारोह में छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण बनाये रखने में सदैव गुरुकुलों एवं विश्वविद्यालयों का रहा है। इसमें समाज के निर्माण एवं संवर्धन में विश्वविद्यालयों ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। संस्कृति, ज्ञान एवं परंपरा के संरक्षक एवं विभिन्न कालों में नवीन परम्पराओं के संवाहक एवं नवोन्मेष शोध केंद्र के रूप में ये समाज को सकारात्मक दिशा देने का कार्य रहे हैं। कुलाधिपति ने कहा कि स्वर्णपदक छात्र-छात्राओं से कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिदिन छात्राएं आगे बढ़ रही है। इनमें छात्राओं की संख्या काफी है।

समाज के सर्वागीण विकास एवं सशक्त बनाने में इनकी भूमिका बढ़ जाती है। समारोह में राज्यपाल ने कहा कि आपकी सफलता में आपके माता-पिता, गुरूओं की विशेष भूमिका होती है। आप सभी भारत के सबसे युवा एवं सबसे बड़ी पूंजी है। भारत युवा देश में से एक है। हमारी पचपन प्रतिशत से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवे स्थान पर है। वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे। देश के प्रधानमंत्री जी 2047 तक एक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए हम सभी के पास स्वर्णिम अपार संभावनाएं है। बल्कि उसके अनुरूप परिस्थितियां भी है। वर्ष 2047 में जब देश आजादी का वर्षगाठ बनायेगा। भारत का समृद्ध गौरवशाली इतिहास सदैव गौरान्वित करती रहती है।

समारोह में राज्यपाल ने कहा कि भारत एक समृद्ध विरासत का राष्ट्र है, और इसका घ्वजवाहक आपको ही बनना है। अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आगे कठिन परिश्रम करें। भारत सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की सौ दिन की रिर्पोट में मुद्रा लोन की धनराशि बढाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कुलाधिपति ने कहा कि प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका निभाने के लिए कार्य करें। अयोध्या अपनी पुरातन संस्कृति के साथ सज-धज रही है। रेलवे स्टेशनों को पूर्नोधार किया गया। वंदे भारत टेªेनों का संचालन किया जा रहा है।

यहां पर पर्यटन होटल धर्मनगरी के रूप में अयोध्या विकसित हो रही है। दुनिया के विश्वविद्यालय अब भारत में अपने केन्द्र खोल रहे हैं। भारत विश्व की अर्थव्यवस्था पांचवे से तीसरे स्थान की ओर अग्रसर हैं। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो शिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर भी बनाये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति संचालित पाठ्यक्रमों का संचालन अवध विश्वविद्यालय कर रहा है।

समारोह में राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालय को पीएम उषा के तहत 100 करोड़ अनुदान दिया है जिससे शिक्षा के संसाधनों को विकसित किया जा सके। शिक्षा में सभी को समान अवसर मिले इसके लिए आस-पास के पिछडे़ जिलों को भी विकसित करना है। मेरा मत है के0जी0 से पी0जी0 तक आपस में एक दूसरे से जुड़े रहे। उसके लिए हाॅयर एजुकेशन का सेतु बनाना होगा। वही बच्चंे आगे बढकर एक दूसरे को सहयोग करेंगे। कुलाधिपति ने कहा कि प्रदेश की 34 विश्वविद्यालयों में पांच-पांच गांव गोद लिया हैं उन गांवों को उनके अधिकार दिला रहे है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं को कृत संकल्पित होकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जा रहा है। हमारा पर्यावरण जल, नदियां घरवार, सस्ंकार स्वच्छ होना चाहिए। स्वच्छता हमारा स्वभाव बनना चाहिए। कुलाधिपति ने कहा कि समाज में व्याप्त नशा विनाश की जड़ है। लोगों में नशा राष्ट्रवाद का होना चाहिए, विकसित राष्ट्र बनाने का होना चाहिए, नशा शरीर के साथ समृद्धि को नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों का नशे से दूर रहना होगा। सभी युवा संकल्प करें की वे नशा नही करेंगे। नशा और दहेज प्रथा यह समाज की सबसे बड़ी बुराई है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा का बजट 1.48 लाख करोड़ कर दिया गया है। उसके प्राप्त करने के लिए प्रपोजल बनाये और उसे प्राप्त करें तथा शिक्षा के स्तर को उच्चीकृत करें। उच्च क्वालिटी की शिक्षा अब योग्यता के आधार पर नही मिलेगी। प्रतिवर्ष एक लाख विद्यार्थियों को दस लाख रूपये ब्याज रहित लोन दे रही है। जिससे अपने युवा अपने लिए रोजगार के अवसर तैयार करे। अच्छी कम्पनियों में लाखों युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर मिलेंगे। मेडल के साथ अच्छे चरित्र का भी निर्माण करें।

समारोह में कुलाधिपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र ने 2021-22 से स्नातक स्तर पर तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा सफलता पूर्वक क्रियान्वित किया गया और जिसके त्रिवर्षीय स्नातक एवं परास्नातक के प्रथम बैच सत्र 2023-24 में सफलता पूर्वक पूर्ण हो चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत संचालित समस्त पाठ्यक्रमों के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। विश्वविद्यालय परिसर के शोधार्थियों तथा शिक्षकों द्वारा गुणवत्तापरक शोध को प्रोत्साहित करने हेतु विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-2025 से ‘‘शोध एवं विकास नीति‘‘ को क्रियान्वित किया है। उक्त के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ शोध पुरस्कार, सीडग्रांट को उपलब्ध कराना, गुणवत्ता युक्त शोध पत्रों हेतु नगद पुरस्कार, शोध छात्रों के लिए फेलोशिप, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के आयोजन हेतु तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रतिभाग करने हेतु वित्तीय सहायता इत्यादि सुविधाएं प्रदान किए जाने संबंधी प्रावधानों का समावेश विश्वविद्यालय परिसर के शोधार्थियों तथा शिक्षकों के शैक्षणिक विकास के लिए सुनिश्चित किया गया है।

इसके अतिरिक्त, पी-एच.डी. स्कॉलर के लिए पी-एच.डी. थीसिस को समुचित, समान तथा वैज्ञानिक ढंग से लिखने तथा उसको जमा करने हेतु एक मार्ग निर्देशिका तैयार कर सत्र 2024-2025 से भी लागू की गई है। समारोह में उन्होंने कहा कि सत्र 2024-2025 से विश्वविद्यालय ने आवासीय परिसर के शिक्षकों के लिए ‘‘परामर्श नीति‘‘ को निर्मित करते हुए क्रियान्वित भी कर दिया है, जिसका उद्देश्य बाहरी संस्थाओं तथा संगठनों को उन समस्याओं के संबंध में पेशेवर सलाह तथा समाधान प्रदान करना है जिनको वह स्वयं समाधान करने में सक्षम नहीं होते हैं। इस परामर्श नीति के क्रियान्वित किए जाने से न केवल शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के पेशेवर ज्ञान तथा दक्षता में अभिवृद्धि होती है बल्कि विश्वविद्यालय शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से धन की प्राप्ति भी होती है।

समारोह में राज्यपाल ने कहा कि छात्राएं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन आगे बढ़ रही हैं। सत्र 2023-24 की परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले 200218 विद्यार्थियों में छात्राओं का प्रतिशत 55 है, और आज के दीक्षांत समारोह में संबंधित पाठ्यक्रमों में सर्वोच्च अंको से उत्तीर्ण होने वाले 116 प्रदान किये जाने वाले स्वर्ण पदकों मे से 65 स्वर्ण पदक छात्राओं को प्राप्त हुए हैं, जो 64 प्रतिशत है। बालिकाओं का इस प्रकार का प्रदर्शन न केवल प्रसंशनीय है बल्कि स्वागत योग्य होने के साथ समाज के सर्वांगीण विकास में महिलाओं की सशक्त भूमिका के आह्वान का एक सुन्दर एवं सुखद संदेश है। अन्त में राज्यपाल ने सभागार में उपस्थित स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी कहा कि आप अपने ज्ञान, संस्कार व मूल्य आधारित ज्ञान एवं चेतना से देश व समाज की निस्वार्थ सेवा करेंगे।

शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए विकास का साधनः प्रो0 भगवती प्रकाश शर्मा

विवि के 29 वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि यूनेस्को संचालित महात्मा गांधी शांति व सतत् विकासार्थ शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो0 भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए अद्यतन ज्ञान, उन्नत प्रौद्योगिकी, उत्कृष्ट, नैतिकता, उच्च सामाजिक संवेदना एवं उच्च राष्ट्रनिष्ठा के संस्कारों के प्रस्फुटन व विकास का साधन है। देश व समाज का आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास शिक्षा के अनुरूप व उसके समानुपात में ही होता है। देश के भावी विकास की दिशा व गति हमारे 15 लाख विद्यालयों के 27 करोड़ विद्यार्थियों एवं 1100 विश्वविद्यालयों सहित 45,000 महाविद्यालयों में अध्यनरत 4 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं की शिक्षा-दीक्षा पर ही निर्भर करेगी। समारोह में उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय की विविध उपाधियों से विभूषित होने वाले ये छात्र-छात्राएँ देश के सभी ज्ञान आधारित आयामों को अपने अद्यतन ज्ञान व कौशल से स्पन्दित कर देश के समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

हमारे उच्च शिक्षा से विभूषित युवा ही चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति के दौर में वैश्विक विकास को गति प्रदान करेंगे। हमारे सुशिक्षित छात्र-छात्राओं के सामाजिक सरोकार व मानवीय संवेदनायें ही देश व समाज में सामाजिक सौहार्द व समरसता के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक विरासत की सरिता को भी सतत् प्रवाहमान रखेगी। हमारी 143 करोड़ जनसंख्या के साथ, हम विश्व की 17.6 प्रतिशत जनसंख्या का निर्माण करते हैं। आज सम्पूर्ण यूरोप के 50 देशों एवं 26 लेटिन अमेरिकी देशों को मिलाकर कुल 76 देशों की संयुक्त जनसंख्या से भी हमारी जनसंख्या अधिक है। हमारी कार्यशील आयु की जनसंख्या आज 90 करोड़ से अधिक है और 2030 तक यह संख्या 100 करोड़ हो जायेगी। यह विश्व की कुल कार्यशील जनसंख्या की 24.3 प्रतिशत होगी। यदि देश की कार्यशील आयु की सम्पूर्ण जनसंख्या को कार्य युक्त किया जा सके तो भारत 400 खरब डालर अर्थात 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी आज 25 ट्रिलियन डालर तुल्य है।

समारोह में प्रो0 शर्मा ने कहा कि प्राचीन समय में भी रामायण काल में महाराज दशरथ के अर्थशास्त्री एवं भगवान राम के शिक्षक रहे उपाध्याय सुधन्वा ने अर्थशास्त्र को परिभाषित करते हुए समाज के सभी कार्यक्षम परिजनों को कार्य सुलभ करवाने, उस कार्य से उन्हें समुचित आय की प्राप्ति, उस आय में सतत् विवर्धन और समाज में उसके सम्यक वितरण पर बल दिया है। भारतीय प्रतिभा की हमारे चतुर्दिक उत्कर्ष में सहभागिता उत्तरोत्तर बढ़े, इस दृष्टि से हमारे प्रधानमंत्री के भी मेक इन इण्डिया, मेड बाई इण्डिया, स्किलिंग कार्यक्रमों से जनित कौशल विकास और स्टार्ट-अप इण्डिया से स्टैण्ड-अप इण्डिया पर्यन्त स्वावलम्बन के आवाहनों के परिणामस्वरूप अब वह दिन दूर नहीं रह जायेगा, जब हम अपनी प्रतिभावान युवा शक्ति की बौद्धिक ऊर्जा के अभिनिवेश से देश के प्राचीन वैभवपूर्ण गौरव को लौटा लायेंगे। इन आवाह्नों की प्रेरणा से ही भारत आज तीसरा सर्वाधिक स्टार्ट-अप वाला देश बन गया है। उद्यमिता विकास व स्वरोजगार प्रोत्साहन सहित अद्यतन प्रौद्योगिकी के विकास के प्रयासों के साथ-साथ सभी छात्र-छात्राओं में सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशीलता व उनके आचार व व्यवहार में उच्चतर नैतिकता व राष्ट्रनिष्ठा को गहराई से बद्धमूल करने के हमारे उदात्त लक्ष्य, उच्च शिक्षा के सम्मुख हिमालय सी ऊँचाई लिये हुये हैं।

समारोह में उन्होंने बताया कि देश की उच्च शिक्षा-प्राप्त युवा पीढ़ी पर तो आज हमारी ही नहीं वरन् संपूर्ण विश्व अपनी आशाओं को केन्द्रित किये हुये है। हाल के जनसांख्यिकीय अनुमानों के अनुसार अमेरिका, जापान, यूरोप, चीन व दक्षिण पूर्व एशिया सहित विश्व के सभी प्रमुख औद्योगिक देशों में वृद्धों के बढ़ते अनुपात के कारण इन देशों में विविध ज्ञान आधारित उद्योगों में नियोजन हेतु युवा जनशक्ति का भारी अभाव हो जाएगा। वस्तुतः इन देशों में आगामी 7 वर्षों में होने वाली सेवानिवृत्तियों से सभी प्रमुख ज्ञान आधारित रोजगार-क्षेत्रों में नियोजन के लिये जो जनाभाव उत्पन्न होगा, उसकी पूर्ति भारत के उच्च व तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवा करेंगे।

कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि आज भी विश्व के प्रमुख औद्योगिक देशों के ज्ञान आधारित क्षेत्रों में भारत की उच्च शिक्षा प्राप्त प्रतिभाएं बड़ी संख्या में उनकी आर्थिक संवृद्धि व सामाजिक सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान कर रही है। विश्व की अधिसंख्य बौद्धिक सम्पदा-आधारित शीर्ष कम्पनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सहित अधिकांश सामाजिक सेवाओं में आज भी मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पद सहित बड़ी संख्या में शीर्ष पदों पर भारतीय ही महती भूमिकायें सम्पादित कर रहे हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब, कॉग्निजेण्ट, ग्लोबल फाउण्ड्रीज, हर्मन इण्टरनेशनल, नेट-एप, पेप्सीको, मास्टर कार्ड, बर्कशायर हाथवे इन्श्योरेन्स, सॉफ्टबैंक आदि विश्व की अधिकांश व सर्वाधिक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भारतीय रहे हैं, जिनके वार्षिक वेतन 200 करोड़ रूपये से भी अधिक हैं। यह हमारी उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा की श्रेष्ठता का ही परिणाम है कि देश औषधि उत्पादन, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, अन्तरिक्ष अनुसंधान आदि अनेक क्षेत्रों में विश्व में उत्कृष्ट प्रतिष्ठा अर्जित किये हुये है। सर्वाधिक उचित मूल्य पर औषधि उत्पादन के क्षेत्र में भारत, विश्व में क्रमांक 1 पर होने से, विश्व के 40 प्रतिशत रक्त कैंसर व 42 प्रतिशत एड्स रोगियों के लिये सुलभ कीमत पर औषधियों का एकमेव आपूर्तिकर्ता देश होने से ‘‘विश्व की फार्मेसी‘‘ कहलाता है। इसी प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं की आउटसोर्सिंग में ।।

प्रतिशत योगदान के साथ विश्व में क्रमांक एक पर है। देश में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात हाल के वर्षों में तेजी से बढ़कर 28.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है। विश्वविद्यालयों में शोध, शोध प्रकाशनों व पेटेन्ट सहित विविध बौद्धिक सम्पदाधिकार के आवेदन व पंजीयन के लिए प्रेरक व उचित पारिस्थितिकीय तंत्र विकसित करना आज की एक अहम चुनौती है। उच्च विश्वसनीयता-युक्त शोध एवं उस शोध पर आधारित उत्तरोत्तर शोधों में बार-बार उद्धृत किए जाने योग्य प्रकाशनों में तेजी से वृद्धि भी आवश्यक है। देश आज इस दिशा

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