समीक्षा:-ब्रह्माण्ड के रहस्य , गतांक से आगे: उषा सक्सेना

Update: 2023-05-03 14:07 GMT


सृष्टि का रहस्य समझने के लिये हमें इसके आधार स्तम्भ खोजने होंगे । पृथ्वी पर सबसे पहले जल प्रलय के बाद हिमालय की उत्पत्ति हुई और उस पर नौका में सवार होकर मनु अपनी पत्नी शतरूपा और सप्त ऋषि आये । इस प्रकार से ऋषि मुनियों का मनु के साथ धरा पर अवतरण हुआ । मनु और शतरूपा की संतानों से ही ऋषियों के सहयोग से विस्तार हुआ । सभी जातियां मनु से ही पैदा हुईं इसीलिये मानव समाज कहलाया । इस प्रकार मनुष्य की उत्पत्ति और सृष्टि के प्रारम्भ का श्रेय हिमालय पर्वत को ही जाता है । आर्य और अनार्य में भेद करतै हुये वह आगे कहते हैं कि जो संस्कारों से सुसंस्कृत हुये वह आर्य कहलाये औररजिन्होंने उन संस्कारों को नही माना अनाड़ी होकर जैसे चाहे अपनी इच्छानुसार चले वह अनार्य कहलाये ।

कहते हैं कि सबसे पहले ब्रह्मा ने मानसिक सृजन किया । ब्रह्मा स्वयं दिव्य दृष्टि से विभूषित हिरण्यमय अण्ड से उत्पन्न हुये और उनके मानस चिंतन से ही उनके मानस पुत्रों की उत्पत्ति हुई।उनमे पुलत्स्य ऋषि के नाम पर पुलस्ता नदी काश्मीर में है ।बाद में कश्यप ऋषि को काश्मीर दे दिया जिसे कशेमुर्र कहा जाता था । आज की डलझील का नाम सतीसर था जिसमें पहले दक्ष पुत्री सती विहार करती थीं बाद में वही पार्वती हुई । कश्यप मुनि के ही पुत्र सूर्य और अत्रि मुनि के चंद्र हुये जिनसे सूर्य और चंद्रवश चला ।

शुक्राचार्य और बृहस्पति का जन्म भी यहीं पर हुआ ।भृगु पुत्र शुक्राचार्य असुरों के गुरु बने और अंगिरा पुत्रबृहस्पति देवगुर हुये । कश्यप मुनि की तेरह पत्नियों में दिति सबसे बड़ी थी जिसके पुत्र दैत्य कहलाये हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु पुत्री सिंहिका थी ।अदिति कै पुत्र आदित्य हुये जो देव कहलाये । दनु पुत्र दानव ,विनता के पुत्र गऱु और अरुण हुये जो वैनतेय कहलाये ।,कद्रू एवं सुरसा से सर्प और नाग वंश की उत्पत्ति हुई । तिब्बत को पृथ्वी की छत कहा जाता है माणा में सूर्यपुत्र यम का मंदिर है । देवासुर संग्राम की स्थली उत्तर काशी है । तिब्बत के ही एक गांव में आज भी विशुद्ध आर्य जाति का निवास है ।

शेष फिर :-धन्यवाद ।

उषा सक्सेना

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