Articles - Page 5

  • राजनीतिक लोकलुभावन बनाम आर्थिक हकीकत".....

    चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल लोकलुभाव व फ्री-गिफ्ट की घोषणाएं तो बड़े जोरशोर से कर देते हैं. किन्तु जब उन वादों को पूरा करने का वक्त आता है तो वे बगले झांके लग जाते हैं, फ्री-गिफ्ट जैसे बिजली ,पानी,राशन,गैस,लेपटॉप व अन्य सुविधाएँ मात्र सत्ता पाने के लिए कर तो दी जाती है किन्तु...

  • ''सबकी मदद की ओर अग्रसर भारत "....

    ''सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" यह प्रमुख सूत्र है भारत और भारतीय सरकार का. तभी तो घर में कोशिश की जा रही है हर तरह से आमजनों का विश्वास जीतने की. शायद यही देखकर विपक्षी तिलमिला रहे हैं कि आखिर हम कहाँ और कैसे टिकेंगे इस जनहितैषी सरकार के सामने ? क्योंकि एक ओर आमजन कुछ परेशानियों के...

  • ''करौली में कडुवाहट निंदनीय''.....

    आजादी के ७५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. देश स्वतंत्रता की ७५वीं वर्षगाँठ पर ''अमृत महोत्सव'' मना रहा है. जिसमें महात्मा गांधी के अंग्रेजों के जुल्मों को अहिंसा के सिद्वान्तों पर चलकर जीतने और देश को आजाद कराने में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदानों को याद करना और उनके सम्मान में विभिन्न सांस्कृति...

  • "हिन्दू-मुस्लिम नही, सिर्फ इंसान बनो"

    विश्व पटल पर अनेकता में एकता की महत्ता रखने वाले भारत जैसे देश में वर्तमान में जिस तरह से पिछले कुछ समय से साम्प्रदायिकता को व्यक्तिगत राजनैतिक हितों के लिए समय-समय पर तूल पकड़ाया जाता रहा है। वह भारत जैसे हिन्दू-मुस्लिम एकता के पहचाने जाने वाले देश की अखंडता और सम्प्रभुता के भविष्य के लिए घातक होगा।...

  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ता आर्थिक सहयोग,आदान प्रदान का करार

    पश्चिमी देशों की भारत से माल खरीदने और बेचने की होड़ लगी हुई है।समृद्धिशाली देश भारत के साथ आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के आदान प्रदान का सिलसिला चालू है।रूस और यूक्रेन की मध्यस्ती करने के लिए भारत को आह्वान किया है।भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत से प्रभावित विश्व समुदाय ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।रूस...

  • ''उफ़ बढ़ती गर्मी और जंगल में आग''....

    देश में दूरस्थ कुछ जंगलों में आग लगने की घटना से चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. हेलीकॉप्टर से जंगल की आग बुझाई जा रही है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, जम्मू -कश्मीर, छत्तीसगढ़ में हाल ही जंगलों में आग की घटनाएं घटित हुई हैं. प्राकृतिक कारण जैसे तापमान बढ़ना, बरसात कम होना, सूखे पत्तों का बढ़ना,...

  • "कॉन्वेंट इज़ डोमिनेंट"

    हमारे देश में एक समय था जब गुरुकुल शिक्षा दीक्षा का केंद्र हुआ करते थे। गुरुकुलों की परंपरा में गुरु के प्रति असीम भक्ति, समर्पण की भावना, त्याग, तपस्या तथा परिश्रम से युक्त जीवन के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की अविरल धारा प्रवाहित होती थी। आज का परिदृश्य बिल्कुल परिवर्तित हो चुका है । आधारभूत शिक्षा...

  • 'बुलडोजर का डोज''.....

    बीमार आदमी को डॉक्टर दवाई का डोज देते हैं तो वह ठीक हो जाता है. कामचोर को प्रशासनिक कार्रवाई का डोज देते हैं तो उसके काम में फूर्ति आ जाती है. यहाँ तक तो ठीक है. किन्तु जब से यूपी में योगी सरकार ने बुलडोजर नाम के नए ''डोज'' का ईजाद किया है और अवैध अतिक्रमण को जमीदोज करना शुरू किया है तब से...

  • अन्य पार्टी में संभावनाएं तलाश रहे है शिवपाल यादव

    रास्ट्रीय अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव की सलाह पर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कुछ दागियों को पार्टी में शामिल कर दिया।उसके बाद समाजवादी ड्रामा चला वो करीब छह महीने तक लगातार चलता रहा।शिवपाल यादव ने उस समय ही फैसला कर लिया कि समाजवादी पार्टी अपनी पार्टी के रूप में हम चला रहे है लेकिन मुलायम के बाद...

  • ब्रिटिश सरकार ने लागू किया अफ्सपा कानून तीन राज्यो से हटाया ,लोगो को राहत

    केंद्र सरकार ने तीन राज्यो के कई इलाकों में लागू अफ्सपा कानून को वापस ले लिया गया है।1 अप्रैल से अफ्सपा कानून प्रभावी हो गया है। कानून की आड़ मे सुरक्षाबलो पर मनमानी का आरोप लगते रहे है।1942 में ब्रिटिश सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए यह कानून थोपा गया था।इस कानून के तहत विशेषाधिकार मिला...

  • हैसियत कम होने पर भी वरुण जमे है भाजपा में

    वरुण जिस तरह से भाजपा के खिलाफ मुखर हो रहे है।उससे मेनका गांधी की सियासी भविष्य पर भी ग्रहण लग गया है।अपनी ही पार्टी भाजपा का हर समय विरोध करने वाले वरुण को दोबारा सोचना चाहिए।वरुण उस लकड़हारा की तरह है जो पेड़ की उस डाल को ही काट रहा है जिस पर वह खड़ा है।भाजपा में मेनका की हैसियत है।उन्हें केंद्रीय...

  • किसी को दुख देने का परिणाम दुःखमय ही होगा*

    अपनी सुख सुविधा एवं वैभव वृद्धि के लिए किसी को पीड़ा पहुंचना,कष्ट देना घोर दुष्कर्म है।इसका दुष्परिणाम संताप कष्ट और पीड़ा के रूप में ही आयेगा।हो सकता है उसमें कुछ समय लगे।स्रुष्टि रूपी ड्रामा हूबहू रिपीट होता है।यह प्रकृति रूपी ड्रामा है और हर किसी का अपना अपना पार्ट है।कोई यह सोचकर किसी को दुख देता...

Share it